इस ब्लॉग में, हम भगवद गीता के अध्याय 8 (अक्षर-ब्रह्म योग) के महत्वपूर्ण श्लोकों को संस्कृत में और उनके हिंदी अनुवाद के साथ प्रस्तुत करेंगे। भगवान श्रीकृष्ण ने इस अध्याय में मृत्यु के समय ध्यान, आत्मा की अमरता और परमात्मा की प्राप्ति के गहरे रहस्यों को समझाया है। यह ब्लॉग भारतीय लोगों के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया है ताकि वे गीता के शाश्वत ज्ञान को सरल भाषा में समझ सकें। अधिक जानकारी और विस्तृत अध्ययन के लिए mavall.in पर जाएँ।
भूमिका
भगवद गीता का आठवाँ अध्याय "अक्षर-ब्रह्म योग" के नाम से जाना जाता है। इस अध्याय में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को मृत्यु, आत्मा और परम ब्रह्म के बारे में विस्तार से बताया है। यहाँ जीवन और मृत्यु के बीच का गहरा संबंध, आत्मा की अमरता और मृत्यु के समय परमात्मा को याद करने का महत्व समझाया गया है। इस ब्लॉग में हम अध्याय 8 के सर्वश्रेष्ठ श्लोक को संस्कृत में पाठ और हिंदी अनुवाद के साथ आपके सामने प्रस्तुत कर रहे हैं।
श्रीमद्भगवद गीता को पढ़ने और समझने के लिए mavall.in एक उत्कृष्ट संसाधन है, जहाँ आपको गीता के गहरे अर्थों की सरल व्याख्या मिलेगी।
भगवद गीता अध्याय 8 के सर्वश्रेष्ठ श्लोक संस्कृत में और हिंदी अनुवाद के साथ
1. श्लोक 8.5
संस्कृत श्लोक:
अन्तकाले च मामेव स्मरन्मुक्त्वा कलेवरम्।
यः प्रयाति स मद्भावं याति नास्त्यत्र संशयः।।
हिंदी अनुवाद:
"जो व्यक्ति मृत्यु के समय केवल मेरा स्मरण करते हुए इस शरीर का त्याग करता है, वह निश्चित रूप से मेरे स्वरूप को प्राप्त करता है। इसमें कोई संदेह नहीं है।"
व्याख्या:
यह श्लोक हमें मृत्यु के समय भगवान का स्मरण करने के महत्व को समझाता है।
2. श्लोक 8.6
संस्कृत श्लोक:
यं यं वापि स्मरन्भावं त्यजत्यन्ते कलेवरम्।
तं तमेवैति कौन्तेय सदा तद्भावभावितः।।
हिंदी अनुवाद:
"हे अर्जुन! मनुष्य जिस भी भाव के साथ शरीर का त्याग करता है, वह उसी भाव को प्राप्त करता है क्योंकि वह जीवनभर उसी के विचारों में लीन रहता है।"
व्याख्या:
यह श्लोक बताता है कि मृत्यु के समय हमारे विचार हमारे अगले जीवन को निर्धारित करते हैं।
3. श्लोक 8.7
संस्कृत श्लोक:
तस्मात्सर्वेषु कालेषु मामनुस्मर युध्य च।
मय्यर्पितमनोबुद्धिर्मामेवैष्यस्यसंशयम्।।
हिंदी अनुवाद:
"इसलिए, हे अर्जुन! तुम हर समय मेरा स्मरण करो और अपने कर्तव्यों का पालन करो। यदि तुम्हारा मन और बुद्धि मुझमें स्थित होगी तो तुम निश्चित रूप से मेरे पास आओगे।"
व्याख्या:
यह श्लोक भक्ति और कर्तव्य के संतुलन को दर्शाता है।
4. श्लोक 8.13
संस्कृत श्लोक:
ओमित्येकाक्षरं ब्रह्म व्याहरन्मामनुस्मरन्।
यः प्रयाति त्यजन्देहं स याति परमां गतिम्।।
हिंदी अनुवाद:
"ओम् नामक एकाक्षर ब्रह्म का उच्चारण करते हुए और मेरा स्मरण करते हुए जो व्यक्ति शरीर त्याग करता है, वह परमगति को प्राप्त करता है।"
व्याख्या:
यह श्लोक 'ओम्' के महत्व को बताता है, जो परमात्मा का प्रतीक है।
5. श्लोक 8.15
संस्कृत श्लोक:
मामुपेत्य पुनर्जन्म दुःखालयमशाश्वतम्।
नाप्नुवन्ति महात्मानः संसिद्धिं परमां गताः।।
हिंदी अनुवाद:
"जो महात्मा मेरी शरण में आते हैं, वे पुनर्जन्म के दुःखमय संसार को प्राप्त नहीं करते और परम सिद्धि को प्राप्त करते हैं।"
व्याख्या:
यह श्लोक बताता है कि भगवान की प्राप्ति के बाद जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिलती है।
6. श्लोक 8.17
संस्कृत श्लोक:
सहस्रयुगपर्यन्तमहर्यद्ब्रह्मणो विदुः।
रात्रिं युगसहस्रान्तां तेऽहोरात्रविदो जनाः।।
हिंदी अनुवाद:
"जो लोग ब्रह्मा के एक दिन और एक रात्रि की अवधि को जानते हैं, वे समय के गहरे रहस्य को समझते हैं। ब्रह्मा का एक दिन हजार युगों के बराबर है।"
व्याख्या:
यह श्लोक ब्रह्मांड के कालचक्र और समय की व्यापकता को दर्शाता है।
निष्कर्ष:
भगवद गीता का अध्याय 8 हमें मृत्यु के समय भगवान का स्मरण करने, आत्मा की अमरता और मोक्ष के मार्ग को समझने का अवसर प्रदान करता है। इन श्लोकों में जीवन और मृत्यु के रहस्यों का अद्भुत वर्णन है।
mavall.in पर जाकर आप भगवद गीता के अध्यायों का और भी गहरा अध्ययन कर सकते हैं। यह वेबसाइट आपको गीता के प्रत्येक श्लोक के अर्थ और व्याख्या को सरल और रोचक भाषा में समझने में मदद करती है।
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