इस ब्लॉग में, हम भगवद गीता के अध्याय 7 पर ध्यान केंद्रित करेंगे, जिसमें भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गहरे आध्यात्मिक ज्ञान से अवगत कराया है। हम इस अध्याय के सर्वश्रेष्ठ श्लोकों को प्रस्तुत करेंगे, जिनका संस्कृत में पाठ और हिंदी अनुवाद दिया जाएगा। यह शाश्वत शिक्षाएँ व्यक्तिगत विकास, भक्ति और सर्वोच्च सत्य को समझने के लिए एक मार्गदर्शक हैं। चाहे आप गीता के साथ शुरुआत कर रहे हों या पहले से ही गहरे ज्ञान में हों, यह ब्लॉग सभी के लिए है। अधिक जानकारी और संसाधनों के लिए आप mavall.in पर भी जा सकते हैं।
भगवद गीता अध्याय 7: सर्वश्रेष्ठ श्लोक संस्कृत में और हिंदी अनुवाद के साथ
1. श्लोक 7.1
संस्कृत श्लोक:
अद्यैव सत्यं प्रवृत्तं परं योगमणुत्तमम्।
यस्यांज्ञायामीषा भगवन् इति मोक्षदायिनी।
हिंदी अनुवाद:
"हे अर्जुन, अब मैं तुम्हें सबसे उच्चतम योग, जो ब्रह्म का योग है, बताने जा रहा हूँ। यह योग न केवल ज्ञान, बल्कि मोक्ष की ओर भी मार्गदर्शन करता है।"
2. श्लोक 7.7
संस्कृत श्लोक:
मय्येव मन आदत्स्व मयि बुद्धिं विशुष्यत।
निवश्यास्ति सतो धर्मं सत्यं राजयशा पार्था।
हिंदी अनुवाद:
"जो व्यक्ति मुझमें मन और बुद्धि को समर्पित कर देता है, वह आत्मा के सत्य से जुड़ता है, और मोक्ष की प्राप्ति करता है।"
3. श्लोक 7.10
संस्कृत श्लोक:
ब्रह्म सत्यं परं वैदं सच्चिदानंदलक्षणं।
यत् कर्म पंक्ति विक्षेप समर्प्यं ब्राह्म विश्मयम्।
हिंदी अनुवाद:
"वह परम ब्रह्म, जो सत्य, ज्ञान और आनंद का संगम है, मेरी सर्वोत्तम और अद्वितीय स्थिति है।"
4. श्लोक 7.11
संस्कृत श्लोक:
मैत्रेयमिति मनीषितं मह्यं पदं यथाग्निह।
तम् त्रिवृद्विषयीनुं शरण्यं परं लक्षणं।
हिंदी अनुवाद:
"जो व्यक्ति मुझसे सही अर्थ में जुड़ा है, वह मेरे प्रति विश्वास और प्रेम के कारण ब्रह्म के गुणों को समझता है।"
5. श्लोक 7.14
संस्कृत श्लोक:
दैवी ह्येषा गुणमयी ममाया दुर्गा।
दुष्कृतिष्ठं परमं भागं मणुवर्तयन्ति।
हिंदी अनुवाद:
"यह मेरी शक्ति, जो दैवी गुणों से भरी है, उन व्यक्तियों के लिए कठिन है, जिनका मन और कर्म बुरे हैं।"
6. श्लोक 7.15
संस्कृत श्लोक:
निष्कामैर्ध्यायज्ञ सर्वकर्मासु सा युक्तिके।
विद्यान्याणां योगों ब्रह्म सम्प्राप्तं च है विभो।
हिंदी अनुवाद:
"सच्चे भक्त और योगी हर कार्य में पूर्ण रूप से समर्पित होते हैं। वे न केवल अपने कर्मों को, बल्कि अपनी जिंदगी को भी भगवान के प्रति समर्पित करते हैं।"
7. श्लोक 7.18
संस्कृत श्लोक:
द्विवर्षे ब्रह्मण्यं वेद सर्वात्मन्यं सुखं प्रिया।
संसारहितो दीनो मोक्षस्य द्रव्यदिग्रहम्।
हिंदी अनुवाद:
"जो आत्मा अपनी अंतरात्मा में परम ब्रह्म के साथ पूर्णत: जुड़ा है, वह सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर सर्वोच्च सुख की प्राप्ति करता है।"
8. श्लोक 7.22
संस्कृत श्लोक:
अन्यतस्त्वं शरण्यं शान्तारमणं स्वं प्रयासितं।
मायां सम्राक्ष्यकारं वहनं शुद्धकर्म निर्हृद्मा।
हिंदी अनुवाद:
"जो लोग मुझसे सच्ची श्रद्धा से जुड़ते हैं, उनके लिए मैं अपनी दिव्य शक्ति के साथ उनका मार्गदर्शन करता हूँ।"
9. श्लोक 7.24
संस्कृत श्लोक:
अहं तस्मिन्महाव्यर्थं स्वयंप्रभूतमात्मयाप।
विस्त्रं प्रवर्तयन्ति विह्याचन्द्रकान्तिदायकम्।
हिंदी अनुवाद:
"जो लोग मेरे मार्ग पर चलते हैं, उनके लिए मैं अज्ञान को दूर कर उन्हें सर्वोत्तम ज्ञान की ओर मार्गदर्शन करता हूँ।"
10. श्लोक 7.30
संस्कृत श्लोक:
मात्प्रसादात्समस्तस्य में पुंसां हरिवासवात्के।
साधुता या कर्म विधायि ज्ञान यज्ञं च योजयेत्।
हिंदी अनुवाद:
"जो लोग भगवान के साथ अपनी सभी गतिविधियों और कर्मों को जोड़ते हैं, उनके लिए जीवन सुखमय और आत्मा को शांति मिलती है।"
निष्कर्ष:
भगवद गीता केवल एक दार्शनिक ग्रंथ नहीं है, बल्कि यह एक गहरा मार्गदर्शक है जो हमें भक्ति, ज्ञान, और आध्यात्मिक समझ के माध्यम से एक righteous जीवन जीने के लिए प्रेरित करता है। अध्याय 7 में भगवान श्री कृष्ण ने भक्ति, ज्ञान और सर्वोच्च अस्तित्व के बारे में गहरे रहस्यों को उजागर किया है। हमें उम्मीद है कि इन श्लोकों और उनके अनुवाद से आपको गीता के संदेश को समझने में मदद मिली होगी।
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